मेरी आग को आज तुम शांत कर दो” मैं कहने लगी.वो भी बड़े जोश में आ गया और चूत को अच्छे से चाटने लगा। वो अंदर से रस निकाल रहा था। मैं तृप्त होने लगी। मुझ पर कामवासना का भूत चढ़ रहा था। बड़ी बेचैनी हो रही थी। इसलिए मैं अपने दोनों पंजो से अपने दोनों बूब्स जोर जोर से दबाने लगी। अपनी निपल्स को ऊँगली में लेकर मरोड़ने तोड़ने लगी।उधर चिंटू ने बड़े अच्छे ढंग से मेरी बुर चाट चाट कर फुला दी। मेरे चूत के दाने को उसने जीभ की नोंक से इतनी बार ठोकर मारी की मेरी तो ऐसी तैसी हो गयी थी। मेरी चूत काफी गहरी थी। चिंटू अंदर तक जीभ घुसा रहा था। दरार में उपर से नीचे तक घुसा रहा था। खोद
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Localsex1 / Localsex11