उसने चुपचाप टंकी में पाइप डाला और बाहर जा कर नलका खोल कर पाइप को टंकी में पानी भर ने छोड़ दिया। सरिता तब रसोई घर में झाड़ू लगा रही थी। उसे पता नहीं था की धर्मेन्द्र आया था। धर्मेन्द्र चोरीसे दरवाजे के पीछे छुपते हुए सरिता को देखने लगा।मैं सारा नजारा देख रहा था। जैसे ही सरिता दरवाजे से बाहर निकलने लगी की धर्मेन्द्र ने उसे अपनी बाहों में दबोच लिया। सरिता धर्मेन्द्र की बाहोंमें छटपटाने और चिल्लाने लगी। उसे पता था की घरमें मेरे अलावा कोई भी नहीं था।जैसे तैसे धर्मेन्द्र से अपने आपको छुड़ा कर वह मेरे कमरे की और भागी और मेरे कमरे में घुस कर उसने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। मैं अपने कमरे में ही था। तब मैंने सरिता से पूछा,
गर्म बंगाली सौतेली माँ और बेटे का जोशीला पाठ
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