लखनऊ से ही बोल रही हूँ यार। बता क्या हाल-चाल है?” आयशा ने पुछा।“बस कुछ नही। तू आज कल किसके साथ एय्याशी कर रही है?” मैंने हंसते हुए कहा।“कहाँ यार। अभी तो कोई मुर्गा ही ढुंढ रही हूँ? xxxhindi लखनऊ से ही बोल रही हूँ यार। बता क्या हाल-चाल है?” आयशा ने पुछा।“बस कुछ नही। तू आज कल किसके साथ एय्याशी कर रही है?” मैंने हंसते हुए कहा।“कहाँ यार। अभी तो कोई मुर्गा ही ढुंढ रही हूँ? मतलब?” मुझे कुछ समझ में नही आया।“घरेलू यानि घरेलू। अरे बड़ा रंगीन मिज़ाज़ है। उसे बज़ार की औरतें नही बल्कि घरेलू औरतें चाहिये। अब यह सब कहाँ से लाऊँ मैं?” बॉस ने समझाते हुए कहा।अब समझ में आया। बाज़ार की औरतें नहीं… यानि वेश्या नहीं… घर की औरतें चाहिये चोदने के लिये।
अनदेखी होने का भ्रम पाले कोई लड़की
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