काम ही ऐसा हो जाता सुबह सुबह की मैं थक जाता हूँ” जन्मेजय ने कहा.उसको लगा की मै कुछ नहीं समझ रही हूँ। मैंने तो पहले ही उसका कारनामा देख रखा था। फिर भी मै चुपचाप रही।“भाभी तुम अपना दुपट्टा ले लो। आपके सारे अंग का प्रदर्शन हो रहा है” जन्मेजय ने कहा.“क्या बात कर रहे हो मेरा तो कुछ भी नहीं दिख रहा है। मै अपना दुपट्टा क्यों लूं तुम्हे नहीं देखनी तो न देखो” मैंने कहा.“जब तुम दिखाओगी तो देख ही लूँगा” बहुत ही रोमांटिक शब्दो में जन्मेजय ने कहा.“बेटा तू अभी बाहर ही देख! hindi xxx एस की तैयारी कर रहा था। कभी कभी ही वो घर आता था। पति के जाने के बाद मै भी अपने मायके चली गयी। वहाँ मुझे चुदाई की तड़प बहुत सता रही थी।मै कुछ