भारतीय डॉक्टर और मरीज की गर्मागर्म चुदाई की हिंदी आवाज़

कुछ नहीं बदला है। वो सब अभी भी परेशान थी बदमाशों से। मुझे ये अजीब लगा।मुझे तो कोई नहीं छेड़ रहा था, सिवाय उस दारा के। वैसे तो वो कुछ नहीं कहता था पर हमेशा मुझे घूरता रहता था और मैं जहाँ जाती मुझे वहाँ दिख जाता था। वो जैसे मेरा पिछा करता हो। मुझे उसमें से कमीनापन छलकता दिखता था।वो भीड़-भाड़ में मेरे करीब आने की कोशिश करता था।मैं हर दिन मंदिर जाती तो वो मुझे वहाँ भी मिल जाता। मैं सोचती थी कि एक मुसलमान होकर वो मंदिर में क्या करता है पर मैं उसे रोक तो नहीं सकती थी। पर धीरे-धीरे अब मेरा उसपर ध्यान जाने लगा था। वो काफ़ी आकर्षक था। वो अकसर मुझे देखता रहता था पर मैं अपनी आंखें चुरा के आगे

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