दफ़्तर की गर्म साथी

ये कुछ ज्यादा ही कर रहा हैं. मैं और भी आवाज कर उन्हें चिढ़ाने लगी. xxxhindi माँ बनाओगे क्या मुझे? बाथरूम के अंदर पहनने के कोई कपड़े थे नहीं तो मेरे मम्मो से लेकर जांघो तक मैं टॉवल लपेट कर ही बाहर आयी.विनय की इन हरकतों की वजह से मेरे हाथ पैर अभी भी कांप रहे थे, और मेरे शरीर पर मैं उसके स्पर्श महसूस कर पा रही थी, ख़ास तौर से जब उसने मेरे मम्मो पर साबुन मला था. मैं इस दुनिया से बाहर आना चाहती थी और अपने जीवन की एक नयी शुरुआत चाहती थी. कही ये इन दोनों के बीच कुछ डील तो नहीं हैं कि होली के दिन एक दूसरे की बीवी के मजे लेंगे. पर विनय तो पूरा तैयार था दूसरी बार झड़ने को,

दफ़्तर की गर्म साथी

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